श्राद्धपक्ष में यज्ञ, तर्पण, पिंडदान और दान जैसे कार्य प्रमुख होते हैं. जैसे किसी परिवार में शोक या पुण्यतिथि पर हंसी-ठिठोली या उत्सव नहीं किए जाते, उसी तरह इस काल में भी बड़े उत्सवों से परहेज़ रखा जाता है. पितृ पक्ष के इसी महत्व को महाभारत में कर्ण की कथा से समझाया गया है.श्राद्धपक्ष में यज्ञ, तर्पण, पिंडदान और दान जैसे कार्य प्रमुख होते हैं. जैसे किसी परिवार में शोक या पुण्यतिथि पर हंसी-ठिठोली या उत्सव नहीं किए जाते, उसी तरह इस काल में भी बड़े उत्सवों से परहेज़ रखा जाता है. पितृ पक्ष के इसी महत्व को महाभारत में कर्ण की कथा से समझाया गया है.