उज्जैन क्यों है काल की नगरी? आजतक धर्म संसद के मंच से मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया

TARESH SINGH
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भारत की बढ़ती वैश्विक साख और आर्थिक संपन्नता पर बात की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बन रहा है. उज्जैन के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि 300 साल पहले तक उज्जैन से ही दुनिया का मानक समय तय होता था. मुख्यमंत्री मोहन ने इसके पीछे का कारण भी बताया है.

मुख्यमंत्री मोहन् यादव ने आजतक धर्म-संसद के मंच से कारण बताते हुए कहा कि उज्जैन को “काल की नगरी” यानी समय की नगरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि:


🕰️ 1. शून्य मध्याह्न (Prime Meridian) का ऐतिहासिक महत्व

  • प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्र में उज्जैन को देश की सेंट्रल मेरिडियन माना जाता था, जहाँ से समय, दिन-रात का प्रारंभ और समयमान (time zone) निर्धारित होता था

  • सीएम यादव ने माना कि उज्जैन ही वो जगह थी जहाँ 0° देशांतर रेखा (जैसे ग्रिनविच, इंग्लैंड में है) पहले से ही थी, और उन्होंने इसे दोबारा प्रमाणीकरण का बीड़ा उठाया


⚙️ 2. 300 साल पुरानी वैश्विक मान्यता

  • यादव ने दावा किया कि लगभग 300 साल पहले उज्जैन का समय विश्व स्तरीय समय के रूप में ग्रहण किया जाता था

  • उन्होंने बताया कि उज्जैन में अब भी वह समय मापने की instrument (यानि यंत्र) मौजूद है


🌞 3. खगोलशास्त्र और ज्योतिष में उज्जैन की भूमिका

  • उज्जैन में प्रसिद्ध खगोलजीवी जैसे वराहमिहिर, भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त उपस्थित थे, जिन्होंने सूर्य, ग्रहों की गमन-चक्र और समय की गणना की 

  • जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1720 के दशक में उज्जैन में खगोल वेधशाला (observatory) भी स्थापित की थी


🔁 4. पारिस और ग्रिनविच तक समय की श्रेणीकरण

  • सिंहासन पर आने के बाद, समय मापने के लिए पहले पेरिस और बाद में ब्रिटिशों द्वारा ग्रिनविच को Prime Meridian घोषित कर दिया गया, जिससे उज्जैन की ऐतिहासिक भुमिका पीछे रह गई


💡 सीएम की भविष्य की योजना

  • यादव ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार Prime Meridian को ग्रिनविच से उज्जैन में स्थानांतरित करने की पहल करेगी और वैश्विक समय को इसके अनुसार “शुद्ध” करेगी 


✅ सारांश — क्यों कहलाता है उज्जैन “काल की नगरी”?

कारण विवरण
ऐतिहासिक मेरिडियन देशांतर 0° की रेखा इसी शहर से गुज़रती मानी जाती थी
प्राचीन खगोलशास्त्र प्रमुख खगोलज्ञ यहाँ रहते थे और समय की गणना करते थे
समयतंत्र यंत्र उस यंत्र के अवशेष या प्रयोग आज भी मौजूद हैं
समयात्मक पहचान 300 साल पहले वैश्विक समयमान उज्जैन-आधारित था

👉 निष्कर्ष:
सीएम मोहन यादव की बात में उज्जैन के प्राचीन खगोलशास्त्रीय और भौगोलिक महत्व का हवाला है, जहाँ समय की गणना की परम्परा रही है। यह ऐतिहासिक-अध्यात्मिक उपकरण इसे सचमुच “काल (समय) की नगरी” बनाते हैं।

अगर आप इस विषय पर और गहराई से जानना चाहते हैं—जैसे वेधशाला का इतिहास, उज्जैन का प्राचीन समयमापन यंत्र, या समयमान पुनर्स्थापना की सरकारी योजना—तो बस पूछ लेना!

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