हरिवंश पुराण में श्राद्ध कल्प का विधान बताया गया है, साथ ही इस बात की व्याख्या भी की गई है कि पितृदेव अपने आशीर्वाद से मनुष्य को जीवन के तमाम झंझावात से कैसे बचाते हैं. यह कथा मार्कंडेय ऋषि ने भीष्म को और फिर भीष्म ने युधिष्ठिर को और आखिरी में ऋषि वैशंपायन ने राजा जनमेजय को सुनाई थी.हरिवंश पुराण में श्राद्ध कल्प का विधान बताया गया है, साथ ही इस बात की व्याख्या भी की गई है कि पितृदेव अपने आशीर्वाद से मनुष्य को जीवन के तमाम झंझावात से कैसे बचाते हैं. यह कथा मार्कंडेय ऋषि ने भीष्म को और फिर भीष्म ने युधिष्ठिर को और आखिरी में ऋषि वैशंपायन ने राजा जनमेजय को सुनाई थी.