टैरिफ को लेकर PM Modi की बड़ी बैठक… कैसे दिया जाए अमेरिका को जवाब, इस पर होगी बात

TARESH SINGH
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Donald Trump ने भारत से आयतित सामानों पर जो 25 फीसदी का एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया है, वो 27 अगस्त से लागू होने वाला है, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एक हाई लेवल बैठक बुलाई है.​Donald Trump ने भारत से आयतित सामानों पर जो 25 फीसदी का एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया है, वो 27 अगस्त से लागू होने वाला है, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एक हाई लेवल बैठक बुलाई है. 

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में लंबे समय से उतार-चढ़ाव देखने को मिलते रहे हैं। कभी तकनीक और निवेश को लेकर साझेदारी मजबूत होती है, तो कभी टैरिफ और व्यापार असंतुलन पर विवाद बढ़ जाते हैं। हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत के कुछ उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने और व्यापारिक दबाव बनाने की कोशिशों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में वाणिज्य मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी शामिल होने वाले हैं। मुख्य एजेंडा यह है कि आखिर अमेरिका को किस तरह जवाब दिया जाए ताकि भारत की अर्थव्यवस्था और कारोबारी हित सुरक्षित रहें।


पृष्ठभूमि: क्यों बढ़ा विवाद?

अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंध हमेशा ही जटिल रहे हैं।

  • अमेरिका को शिकायत है कि भारत अभी भी कुछ क्षेत्रों में संरक्षणवादी नीतियां अपनाता है।

  • भारत का कहना है कि अमेरिका अपने उत्पादों को भारत में खपाने के लिए दबाव डालता है और भारतीय उत्पादों को रोकने के लिए टैरिफ का सहारा लेता है।

  • हाल ही में अमेरिका ने भारत से निर्यात होने वाले कुछ स्टील, एल्यूमिनियम और फार्मा उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का संकेत दिया है।

  • जवाबी कदम के तौर पर भारत भी अमेरिकी उत्पादों जैसे कृषि सामान, वाइन और कुछ मैन्युफैक्चर्ड गुड्स पर टैरिफ बढ़ाने पर विचार कर रहा है।


बैठक का एजेंडा

प्रधानमंत्री मोदी की बैठक में तीन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा होगी:

  1. कूटनीतिक रणनीति

    • अमेरिका से सीधी बातचीत कर विवाद को शांत करने की कोशिश।

    • WTO (वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन) में इस मुद्दे को उठाने की संभावना।

    • भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को नए सिरे से शुरू करने का प्रयास।

  2. आर्थिक और कारोबारी सुरक्षा

    • अमेरिका पर निर्भरता घटाने के लिए नए निर्यात बाजार तलाशना।

    • “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना।

    • प्रभावित उद्योगों को राहत पैकेज या प्रोत्साहन देना।

  3. राजनीतिक और रणनीतिक संतुलन

    • अमेरिका के साथ रक्षा और तकनीकी साझेदारी को नुकसान न पहुंचे, इसका ध्यान रखना।

    • चीन और रूस के साथ संबंधों को संतुलित कर विकल्प तैयार करना।


भारत के पास क्या विकल्प हैं?

  1. जवाबी टैरिफ: अमेरिका की तरह भारत भी चुनिंदा उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर दबाव बना सकता है।

  2. WTO में शिकायत: भारत यह साबित करने की कोशिश करेगा कि अमेरिका का कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ है।

  3. साझेदारी का विकल्प: भारत यूरोप, एशिया और अफ्रीका के देशों के साथ नए व्यापार समझौते कर अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।

  4. घरेलू उद्योगों को बढ़ावा: आयात कम करने और घरेलू उत्पादन बढ़ाने से भारत को लंबे समय में लाभ होगा।


चुनौतियां भी कम नहीं

  • अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इस रिश्ते में तनाव भारतीय आईटी, फार्मा और कृषि उद्योग को नुकसान पहुंचा सकता है।

  • भारत को अमेरिकी बाजार की जरूरत है, क्योंकि वहां भारतीय सेवाओं और उत्पादों की बड़ी खपत है।

  • चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को अमेरिका तरजीह दे सकता है, जिससे भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है।


निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी की यह बैठक इस बात का संकेत है कि भारत अमेरिका को जवाब देने के लिए गंभीरता से तैयारी कर रहा है। सरकार यह समझती है कि केवल आर्थिक हित ही नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी भी दांव पर लगी है। ऐसे में भारत को बेहद सोच-समझकर फैसले लेने होंगे।

👉 कुल मिलाकर यह लड़ाई सिर्फ टैरिफ की नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार और रणनीतिक संतुलन की है। भारत चाहे तो अमेरिका को कड़ा जवाब भी दे सकता है, और चाहे तो कूटनीतिक रास्ता अपनाकर टकराव से बच भी सकता है। आने वाले दिनों में सरकार का झुकाव किस ओर होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।


 

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