निक्की हत्याकांड- क्या नाबालिग बेटे की गवाही भी तय कर सकती है सजा?

TARESH SINGH
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निक्की भाटी मर्डर केस में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. 21 अगस्त को हुई इस घटना में मृतका के बेटे का बयान वायरल है. उसका कहना है कि पिता ने मां के साथ मारपीट की और कुछ डालकर लाइटर से आग लगा दी. माना जा रहा है कि यह बयान केस में अहम कड़ी साबित हो सकता है. लेकिन बच्चा माइनर है, तो क्या उसकी गवाही किसी वयस्क जितना वजन रखेगी?

कानून क्या कहता है?

1. कोई न्यूनतम आयु नहीं; समझ और बुद्धिमत्ता मायने रखती है

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118 के तहत, किसी व्यक्ति को गवाह माना जा सकता है जब तक कि अदालत यह न समझे कि वह प्रश्नों को समझने या तर्कसंगत उत्तर देने में असमर्थ हैLawChakra
आयु की कोई न्यूनतम सीमा नहीं है—बच्चे की बुद्धिमत्ता और समझ ही निर्णायक होती हैBhatt & Joshi AssociatesWikipedia

2. सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि:

  • बच्चे की गवाही पूरी तरह अस्वीकार नहीं की जा सकती, जब तक वह भरोसेमंद होThe Times of India

  • अदालत गवाही में ट्यूटोरिंग (influence) की संभावना का ध्यान रखे, लेकिन केवल इसी आधार पर गवाही को खारिज नहीं किया जा सकताThe Times of IndiaIndian Kanoon

  • यदि गवाही में “सत्यता का प्रभाव” (impress of truth) हो, तो उसे एकमात्र आधार भी बनाया जा सकता हैLawChakraBhatt & Joshi Associates

3. गवाही की समीक्षा: कैसे की जाए?

अदालतें विशेष सतर्कता के साथ निम्नलिखित पहलुओं की जाँच करती हैं:

  • प्रारंभिक परीक्षण (Preliminary examination): जज बच्चे से पूछताछ करके यह सुनिश्चित करता है कि वह प्रश्न समझता है, तर्कसंगत उत्तर दे सकता है, और सच बोलने का महत्त्व जानता हैSupreme Court ObserverBhatt & Joshi Associates

  • ट्यूटोरिंग जांच: क्या किसी ने बच्चे को प्रभावित तो नहीं किया? यदि ट्यूटोरिंग का कोई प्रमाण नहीं, तो गवाही स्वीकार्य होती हैIndian Kanoon+1

  • सामान्य विसंगतियों पर सहानुभूति: यदि गवाही में कुछ बिंदुओं पर मामूली अंतर हो—जो बच्चों में सामान्य है—तो भी इसे खारिज नहीं किया जाताSupreme Court Observer

4. क्या गवाही अकेले ही सजा का आधार हो सकती है?

हाँ। कई मामलों में बच्चे की गवाही अकेले ही सजा तय करने में पर्याप्त रही है—फिर चाहे वह धाराप्रवाह हो या घटना स्पष्ट करता हो।

उदाहरण:

  • 12-साल के बेटे की गवाही: पिता की हत्या में आरोपी—माता—के खिलाफ सजा का आधार सिर्फ बेटे की गवाही बनी; सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही मानाlatestlaws.comTaxGuru

  • 7-साल की बेटी की गवाही: पिता की हत्या की घटना में उसने जो देखा, उसी पर आधारित सजा सुनाई गईThe Times of India

5. क्या देखे गए कुछ उदाहरण:

  • 5-साल के बच्चे की गवाही ने POCSO कोर्ट में एक अभियुक्त को दोषी सिद्ध कर सजा दिलाई—उसकी मेडिकल रिपोर्ट ने गवाही का समर्थन कियाThe Times of India


निष्कर्ष सारणी

प्रश्नउत्तर
न्यूनतम आयु क्या है?नहीं है; समझ और तर्क क्षमता मायने रखती है।
गवाही केवल इसलिए ख़ारिज की जा सकती है?नहीं; केवल ट्यूटोरिंग या विश्वसनीयता की कमी पर जांच होती है।
क्या कोर्ट गवाह की प्राथमिक जांच करे?हाँ—प्रश्न समझने और सच बोलने की क्षमता की पुष्टि करता है।
क्या गवाही अकेले आधार हो सकती है?हाँ, यदि भरोसेमंद साबित हो।

इसलिए, यदि नाबालिग बेटा घटना का प्रत्यक्ष साक्षी है और उसकी गवाही अदालत में विश्वसनीय मानी गई, तो वह दोष सिद्ध करने और सजा तय करने में निर्णायक साबित हो सकती है।

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