जीआरएसई ने 13 सितंबर 2025 को भारतीय नौसेना को ‘अंड्रोथ’ सौंपा, जो दूसरा स्वदेशी एएसडब्ल्यू शैलो वॉटर क्राफ्ट है. 77 मीटर लंबा यह जहाज पनडुब्बी रोधी, तटीय निगरानी और माइन बिछाने में सक्षम है. 88% स्वदेशी सामग्री से बना, यह आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है. इसका नाम लक्षद्वीप के अंड्रोथ द्वीप से लिया गया है.जीआरएसई ने 13 सितंबर 2025 को भारतीय नौसेना को ‘अंड्रोथ’ सौंपा, जो दूसरा स्वदेशी एएसडब्ल्यू शैलो वॉटर क्राफ्ट है. 77 मीटर लंबा यह जहाज पनडुब्बी रोधी, तटीय निगरानी और माइन बिछाने में सक्षम है. 88% स्वदेशी सामग्री से बना, यह आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है. इसका नाम लक्षद्वीप के अंड्रोथ द्वीप से लिया गया है.