मोदी की बात मुसलमानों के बीच पहुंचने से इतना भयभीत क्‍यों थी सपा-कांग्रेस?

TARESH SINGH
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विचारधारा की स्वतंत्रता की बातें और मोदी सरकार पर तानाशाह होने का आरोप कांग्रेस अकसर लगाती रही है. पर यूपीए शासनकाल के दौरान 2012 में नरेंद्र मोदी का एक साक्षात्कार छापने से रोकने के लिए शाहिद सिद्दीकी को न केवल धमकी दी गई बल्कि दंडित भी किया गया.

मोदी का मुस्लिम समुदाय में पहुंच का रणनीतिक महत्व

1. पोस्ट-ट्रिपल तलाक, बढ़ा हुआ हज कोटा — “वास्तविक लाभ”

मोदी ने तीन तलाक पर रोकना, हज कोटा बढ़ाना और महिलाओं को बिना महरम के हज जाने का अवसर प्रदान करना जैसे कदम उठाए, जिन्हें उन्होंने मुस्लिम समाज में सकारात्मक रूप से पेश किया। उन्होंने इसको यह कहते हुए प्रचारित किया कि ये कदम कांग्रेस और सपा जैसी पार्टियों ने नहीं उठाए, केवल BJP ने मुस्लिमों के लिए बदलाव लाया है।The Indian ExpressThe Hindu

2. “तुष्टिकरण” की राजनीति का आरोप

मोदी ने कांग्रेस और सपा पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया—यानी कि वो केवल वोट बैंक के लिए मुस्लिमों को आकर्षित करते हैं, लेकिन उनके वास्तविक सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए काम नहीं करते। ऐसे बयान मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों के बीच बीजेपी की दिशा में समर्थन बढ़ा सकते हैं।The Indian Expresswww.ndtv.com


कांग्रेस-सपा के भय और डर का विश्लेषण

1. वोट बैंक आधार का अस्थिर होना

यदि मोदी मुस्लिम समुदाय में सफलतापूर्वक पैठ बनाते हैं, तो सपा-कांग्रेस का अपनी परंपरागत मुस्लिम वोट बैकबोन कमजोर पड़ सकता है। खासकर ‘पासमांदा’ (पिछड़े वर्ग) मुस्लिमों को लक्षित करने से यह रुझान और स्पष्ट होता है।The Times of India+1

2. “इस्तेमाल किए जाने” का डर

मोदी ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय समझ चुका है कि कांग्रेस-INDIA ब्लॉक उन्हें “पawns” (शहीदे) की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं—मतलब उन्हें वोट बैंक के रूप में दर्ज़ कर रहे हैं, वास्तविक हितों के लिए नहीं।The Times of India

3. स्ट्रेटेजिक पोलिटिकल दबाव

उपरोक्त आलोचनाओं से जातीय-धार्मिक विभाजन को बढ़ावा मिलने की संभावना रहती है—जिसे सपा-कांग्रेस डरते हैं कि ये उनके कुल वोट प्रतिशत को कम कर सकता है। इसलिए वे मोदी के मुस्लिम-पहुंच को रोकने के लिए लगातार आरोप-प्रत्यारोप करते रहते हैं।


सारांश तालिका

कारकविवरण
मोदी की मुस्लिम पहुंचतुष्टिकरण का विपरीत दिखते हुए, वास्तविक लाभ की उम्मीद जगाना
पासमांदा मुस्लिम आकर्षणकांग्रेस-सपा के वोट बैंक को कमजोर कर सकता है
वोट बैंक के रूप में इस्तेमालमोदी ने यह भावना जगा दी कि मुस्लिमों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया गया
राजनीतिक प्रतियोगितामोदी की ये स्टाइल विपक्ष के लिए चुनौतीपूर्ण और डर पैदा करने वाला

निष्कर्ष

  • मोदी ने मुस्लिम समुदाय के बीच सीधे लाभकारी पहल करके अपना आधार मजबूत करने की कोशिश की है।

  • सपा-कांग्रेस इससे भयभीत हैं क्योंकि इससे उनका परंपरागत वोट बैंक हिल सकता है।

  • मोदी के बयान और अपील विपक्ष द्वारा उन्हें “शाही शैली की राजनीति” और वोट इश्यूज़ पर राजनीति करने वाला बताया जाता है, जिससे उन्हें मुस्लिम वोट से दूरी बनानी पड़ सकती है।

 

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