सांसद ने केंद्र से की कोडागु कॉफी ग्रोअर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी को राहत देने की मांग

TARESH SINGH
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भारत में कॉफी केवल एक पेय नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृति, एक अर्थव्यवस्था और लाखों परिवारों की आजीविका का साधन है। खासकर कर्नाटक के कोडागु जिले (जिसे अक्सर “कॉफी कैपिटल ऑफ इंडिया” कहा जाता है) में कॉफी किसानों का जीवन सीधे-सीधे इस फसल पर निर्भर करता है।

हाल ही में एक सांसद ने संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह तुरंत कोडागु कॉफी ग्रोअर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी (KCGCS) को वित्तीय और संस्थागत सहायता प्रदान करे।

यह मांग ऐसे समय में की गई है जब कॉफी की गिरती कीमतें, जलवायु परिवर्तन, कर्ज़ का बोझ और बाजार की अस्थिरता किसानों को संकट की ओर धकेल रही हैं।


कोडागु में कॉफी की खेती: एक परिचय

  • कोडागु, भारत की कुल कॉफी उत्पादन का लगभग 30% से अधिक योगदान करता है।

  • यहाँ अरेबिका और रोबस्टा दोनों किस्मों की खेती होती है।

  • करीब 2.5 लाख परिवारों की आजीविका कॉफी उत्पादन से जुड़ी है।

  • यहाँ कॉफी पेड़ों की छाया में उगाई जाती है, जो जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।

फिर भी, यह गौरवशाली परंपरा आज गहरे संकट में है।


कोडागु के कॉफी किसानों की चुनौतियाँ

1. जलवायु परिवर्तन और अनियमित बारिश

पिछले कुछ वर्षों में असमय बारिश, बाढ़ और भूस्खलन ने कॉफी बागानों को भारी नुकसान पहुँचाया है।

2. वैश्विक कीमतों में गिरावट

भारतीय कॉफी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ी होती हैं। वैश्विक दरों में गिरावट का सीधा असर स्थानीय किसानों पर पड़ता है।

3. बढ़ती लागत

खाद, कीटनाशक और श्रम की बढ़ती कीमतें खेती को अलाभकारी बना रही हैं।

4. कर्ज़ का बोझ

कई किसान बैंकों और साहूकारों से लिए गए कर्ज़ में डूबे हैं। बिना सरकारी राहत के वे चूक (default) की स्थिति में पहुँच रहे हैं।

5. सहकारी संस्था की वित्तीय समस्या

कभी किसानों का सहारा रही कोडागु कॉफी ग्रोअर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी स्वयं नकदी संकट से जूझ रही है। किसान समय पर भुगतान और कर्ज़ पाने में असमर्थ हो रहे हैं।


सांसद की केंद्र से अपील

सांसद ने सरकार से निम्नलिखित माँगें की हैं–

  • सोसाइटी को स्थिर करने के लिए वित्तीय पैकेज दिया जाए।

  • कॉफी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया जाए।

  • किसानों को कर्ज़ पुनर्गठन और ब्याज माफी दी जाए।

  • जलवायु आपदाओं से प्रभावित किसानों के लिए विशेष राहत कोष बनाया जाए।

  • भारतीय कॉफी की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए निर्यात सब्सिडी दी जाए।


सहकारी संस्था को बचाना क्यों ज़रूरी है?

  • KCGCS किसानों को विपणन, कर्ज़ और कृषि सामग्री उपलब्ध कराती है।

  • इसके बिना किसान निजी व्यापारियों के शोषण का शिकार हो सकते हैं।

  • मज़बूत सहकारी संस्था से किसानों को न्यायपूर्ण मूल्य, पारदर्शी लेन-देन और समय पर कर्ज़ मिल सकता है।


केंद्र सरकार के संभावित कदम

आर्थिक सहायता

  • सोसाइटी को बचाने के लिए प्रत्यक्ष अनुदान

  • किसानों को कम ब्याज वाले कर्ज़

बाज़ार सहयोग

  • कॉफी के लिए MSP प्रणाली लागू करना।

  • घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों का विस्तार।

ढाँचा विकास

  • भंडारण और प्रसंस्करण केंद्रों का निर्माण।

  • कोडागु कॉफी” को वैश्विक स्तर पर GI (Geographical Indication) ब्रांडिंग।

जलवायु अनुकूलन

  • जलवायु-प्रतिरोधी कॉफी किस्मों पर अनुसंधान।

  • फसल बीमा योजनाओं का विस्तार।


किसानों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

यदि राहत दी गई तो–

  • किसान कर्ज़ के बोझ से मुक्त हो सकेंगे।

  • शहरों की ओर पलायन कम होगा।

  • स्थानीय अर्थव्यवस्था (पर्यटन, छोटे उद्योग, रिटेल) मज़बूत होगी।

  • पर्यावरणीय संतुलन और सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहेगी।

यदि राहत नहीं मिली तो–

  • किसान कॉफी की खेती छोड़ सकते हैं।

  • सहकारी संस्था के ढहने का खतरा बढ़ेगा।

  • ग्रामीण संकट और बेरोज़गारी बढ़ेगी।


वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारतीय कॉफी

भारतीय कॉफी, विशेष रूप से कोडागु कॉफी, अपनी खुशबू और पेड़ों की छाया में उगाई जाने की अनूठी तकनीक के कारण दुनिया भर में सराही जाती है। किसानों को सहयोग देना केवल स्थानीय नहीं, बल्कि वैश्विक कॉफी ब्रांड इंडिया को मज़बूत करना भी है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. कोडागु भारत की कॉफी उत्पादन में क्यों महत्वपूर्ण है?

क्योंकि यह अकेले भारत की कुल कॉफी का लगभग एक-तिहाई उत्पादन करता है और अरेबिका व रोबस्टा दोनों किस्मों के लिए प्रसिद्ध है।

2. किसानों की मुख्य समस्याएँ क्या हैं?

जलवायु परिवर्तन, बाज़ार अस्थिरता, बढ़ती लागत और कर्ज़ बोझ।

3. सहकारी संस्था संकट में क्यों है?

किसानों के कर्ज़ चुकता न कर पाने और बाज़ार में मंदी के कारण संस्था नकदी की कमी से जूझ रही है।

4. सांसद ने सरकार से क्या राहत मांगी है?

वित्तीय पैकेज, MSP, कर्ज़ माफी, विशेष राहत कोष और निर्यात सब्सिडी।

5. किसानों को सहकारी संस्था से क्या लाभ होगा?

न्यायपूर्ण मूल्य, समय पर भुगतान, कर्ज़ की उपलब्धता और शोषण से बचाव।


निष्कर्ष

सांसद द्वारा उठाई गई यह मांग केवल एक संस्था को बचाने की नहीं है, बल्कि हजारों किसानों के भविष्य और कोडागु की सामाजिक-आर्थिक संरचना को सुरक्षित करने की पहल है।

यदि केंद्र सरकार समय रहते हस्तक्षेप करती है, तो भारतीय कॉफी क्षेत्र फिर से मजबूती हासिल कर सकता है, किसानों की समृद्धि सुनिश्चित होगी और भारत की पहचान वैश्विक कॉफी बाज़ार में और अधिक मज़बूत होगी।

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