रूस के पोल्टावा आक्रमण से साफ़ संदेश: पुतिन नहीं चाहते शांति — यूक्रेन
एक रात, एक हमलावर सच
रात के अंधकार में, रूस ने यूक्रेन के केंद्र में स्थित पोल्टावा क्षेत्र में बड़ा हमला किया। क्रेमेन्चुक शहर सहित पोल्टावा क्षेत्र में बिजली व्यवस्था ठप हो गई, इससे स्पष्ट संकेत मिले कि यह हमला केवल तकनीकी हमले नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश था—कि पुतिन शांति नहीं चाहते हैं। पोल्टावा क्षेत्र के मेयर विटली मालेत्स्की ने टेलीग्राम पर लिखा:
“उसी समय जब पुतिन ने ट्रम्प को फोन पर कहा कि वे शांति चाहते हैं, और जब राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की व्हाइट हाउस में यूरोपीय नेताओं के साथ निष्पक्ष शांति पर बातचीत कर रहे थे — तब पुतिन की सेना ने क्रेमेन्चुक पर एक और बड़ा हमला कर दिया। यह साफ़ करता है कि पुतिन नहीं चाहते शांति, बल्कि वे यूक्रेन को नष्ट करना चाहते हैं।”
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हमले का असर
पोल्टावा राज्यपाल वोलोडिमीर कोहुट ने बताया कि इस हमले से स्थानीय ऊर्जा संचालन की प्रशासनिक इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं। हालांकि नीचे हुए नुकसान में जान-माल की कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, लेकिन करीब 1,500 आवासीय और 119 व्यावसायिक ग्राहकों के लिए बिजली बंद हो गई।
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पीछे की कहानी: समय के साथ विरोधाभास
यह हमला उस समय हुआ जब यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की शांति वार्ता की कोशिश कर रहे थे, और एक ही समय में पुतिन मंच पर शांति का संदेश दे रहे थे। लेकिन जैसे ही शांति की चर्चा सामने आई थी, रूस ने हमला कर के अपनी नीयत स्पष्ट कर दी—यह केवल युद्धविराम नहीं, बल्कि संयम खो देने का संकेत है।
भावनात्मक और मानवीय प्रभाव
इस घटना ने सिर्फ रणनीतिक असंतुलन नहीं दिखाया—बल्कि दुनियाभर को यह याद दिलाया कि युद्ध का असली विनाश केवल बमों से नहीं, बल्कि मानव आशाएँ और जीवनशैली पर टूटती उम्मीदों से आता है। पोल्टावा में अचानक आई बिजली कटौती ने यह भूले-बिसरे डर को फिर से जगाया कि संकट हर तरफ हो सकता है, और शांति का आभास क्षणिक हो सकता है।
यूक्रेन की प्रतिक्रिया का व्यापक अर्थ
यूक्रेन की प्रतिक्रिया का असर केवल लोकल नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी गहरा गया। यह बयान उस भयावह तराजू को दर्शाता है जहां एक ओर शांति की कूटनीति फलना चाहिए थी, वहीं दूसरी ओर इस हमले ने दुनिया को याद दिलाया कि युद्ध निरंतरता और हिंसा का नाटक बना हुआ है।