‘Animal’ to ‘Coolie’ and beyond, the essence of sound in storytelling

TARESH SINGH
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फिल्म या किसी भी विजुअल स्टोरीटेलिंग का सबसे अहम पहलू सिर्फ़ विज़ुअल्स नहीं बल्कि साउंड (ध्वनि) भी है। सिनेमा में आवाज़ वह अदृश्य धागा है जो दर्शक की भावनाओं को कहानी से जोड़ता है। चाहे वह रणबीर कपूर की ‘Animal’ हो, जिसमें बैकग्राउंड स्कोर क्रोध और हिंसा की तीव्रता को और गहरा करता है, या अमिताभ बच्चन की ‘Coolie’, जिसमें संवाद और साउंड इफेक्ट्स कहानी को ज़मीनी स्तर पर जोड़ते हैं—साउंड का महत्व अपार है।


साउंड और स्टोरीटेलिंग का रिश्ता

  • इमोशन को गहराई देना – जब विजुअल्स के साथ सटीक बैकग्राउंड स्कोर आता है, तो दर्शक की भावनाएँ दोगुनी हो जाती हैं।

  • कैरेक्टर की पहचान – अलग-अलग किरदारों को अक्सर अलग ध्वनियों या थीम से जोड़ा जाता है।

  • तनाव और रहस्य बढ़ाना – हॉरर या थ्रिलर फिल्मों में साउंड दर्शक को सीट के किनारे पर बैठने को मजबूर कर देता है।

  • सांस्कृतिक जुड़ाव – लोक संगीत या पारंपरिक ध्वनियाँ कहानी को असलीपन देती हैं।


‘Animal’ का उदाहरण

रणबीर कपूर स्टारर ‘Animal’ में बैकग्राउंड स्कोर, गनफायर की आवाज़ और संवाद मिलकर हिंसा, रिश्तों की जटिलता और एंगर को और प्रभावशाली बनाते हैं। दर्शक सिर्फ देखता नहीं, बल्कि सुनकर महसूस करता है


‘Coolie’ का उदाहरण

अमिताभ बच्चन की ‘Coolie’ (1983) में ट्रेन की सीटी, भीड़ का शोर, मजदूरों की आवाज़ें—ये सब फिल्म की यथार्थता को बढ़ाते हैं। यहाँ साउंड सिर्फ़ बैकग्राउंड नहीं बल्कि कहानी का हिस्सा बन जाता है।


बॉलीवुड से हॉलीवुड तक – साउंड का जादू

  • बॉलीवुड – एस.डी. बर्मन, आर.डी. बर्मन से लेकर ए.आर. रहमान तक, संगीतकारों ने ध्वनि से कहानियों को जीवंत किया है।

  • हॉलीवुड – क्रिस्टोफर नोलन की फिल्मों में हैंस ज़िमर का संगीत एक अलग ही आयाम जोड़ता है।

  • आधुनिक सिनेमा – Dolby Atmos, 3D Sound और Surround Technology ने दर्शकों को थिएटर में पूरी तरह डुबो दिया है।


साउंड सिर्फ़ म्यूज़िक नहीं है

  • संवाद (Dialogues) – “Mogambo Khush Hua” या “Pushpa, I hate tears” जैसे डायलॉग अमर हो गए।

  • Silence (खामोशी) – कई बार खामोशी सबसे बड़ा प्रभाव छोड़ती है।

  • Foley Sounds – तलवारों की टकराहट, दरवाज़े की चरमराहट—ये सब कहानी को यथार्थवादी बनाते हैं।


डिजिटल युग और साउंड स्टोरीटेलिंग

OTT प्लेटफ़ॉर्म्स और पॉडकास्ट्स ने ध्वनि को नई पहचान दी है। अब बिना विजुअल्स के भी लोग सिर्फ आवाज़ से कहानी महसूस कर पाते हैं।


निष्कर्ष

‘Animal’ से लेकर ‘Coolie’ और उससे भी आगे, साउंड हमेशा से स्टोरीटेलिंग का धड़कता हुआ दिल रहा है। यह न केवल कहानी को गहराई देता है बल्कि दर्शक को भावनात्मक रूप से जोड़ता है।

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