मुंबई का लाल बाग कभी मछुआरों का बस्ती हुआ करता था. व्यापार में मंदी आने के कारण यहां के लोग लंबे समय से स्थाई बाजार की मांग कर रहे थे, जो पूरी नहीं हो पा रही थी. 1934 में कुछ व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने मिलकर लाल बाग के राजा पंडाल की स्थापना की और धीरे-धीरे यह पंडाल देश के सबसे लोकप्रिय गणेशोत्सवों में गिना जाने लगा.मुंबई का लाल बाग कभी मछुआरों का बस्ती हुआ करता था. व्यापार में मंदी आने के कारण यहां के लोग लंबे समय से स्थाई बाजार की मांग कर रहे थे, जो पूरी नहीं हो पा रही थी. 1934 में कुछ व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने मिलकर लाल बाग के राजा पंडाल की स्थापना की और धीरे-धीरे यह पंडाल देश के सबसे लोकप्रिय गणेशोत्सवों में गिना जाने लगा.