अब किताबों और क्लासरूम से आगे, बच्चों की पढ़ाई का नया अड्डा बन चुके हैं कोचिंग सेंटर. नर्सरी से लेकर टीनएज तक, हर लेवल पर कोचिंग का दायरा बढ़ रहा है. शहरी भारत इसमें सबसे आगे है, जहां हर तीसरा बच्चा कोचिंग ले रहा है. फीस भी सैकड़ों से हजारों तक. सवाल है, क्या पढ़ाई अब घर-स्कूल से निकलकर पूरी तरह ‘कोचिंग इंडस्ट्री’ पर टिक गई है?अब किताबों और क्लासरूम से आगे, बच्चों की पढ़ाई का नया अड्डा बन चुके हैं कोचिंग सेंटर. नर्सरी से लेकर टीनएज तक, हर लेवल पर कोचिंग का दायरा बढ़ रहा है. शहरी भारत इसमें सबसे आगे है, जहां हर तीसरा बच्चा कोचिंग ले रहा है. फीस भी सैकड़ों से हजारों तक. सवाल है, क्या पढ़ाई अब घर-स्कूल से निकलकर पूरी तरह ‘कोचिंग इंडस्ट्री’ पर टिक गई है?