जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर गोरखा आर्मी की ताकत को बखूबी जानता था. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उसकी मंशा थी कि, गोरखा आर्मी किसी भी कीमत पर अंग्रेजों का साथ न दे. अपने इसी चाहत के चलते उसने डेमलर-बेंज की इस कार को बर्लिन से 6,000 किलोमीटर दूर काठमांडू भेजा था.जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर गोरखा आर्मी की ताकत को बखूबी जानता था. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उसकी मंशा थी कि, गोरखा आर्मी किसी भी कीमत पर अंग्रेजों का साथ न दे. अपने इसी चाहत के चलते उसने डेमलर-बेंज की इस कार को बर्लिन से 6,000 किलोमीटर दूर काठमांडू भेजा था.