SCARF ने मनाई DEMCARES डिमेंशिया केयर यूनिट की 10वीं वर्षगांठ

TARESH SINGH
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भारत में बढ़ती उम्र के साथ बुजुर्गों में मानसिक बीमारियों और खासतौर पर डिमेंशिया (Dementia) का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल लाखों लोग स्मृति लोप, अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे समय में, SCARF (Schizophrenia Research Foundation) जैसी संस्थाएँ मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

इसी क्रम में, चेन्नई स्थित SCARF India ने हाल ही में अपने विशेष डिमेंशिया केयर यूनिट DEMCARES (Dementia Care in SCARF) की 10वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर संगठन ने न केवल अपनी उपलब्धियों को साझा किया, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए बुजुर्ग मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के नए आयाम भी प्रस्तुत किए।


डिमेंशिया क्या है?

डिमेंशिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति की स्मृति (Memory), सोचने की क्षमता (Cognition), व्यवहार और दैनिक जीवन जीने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। यह कोई एक बीमारी नहीं, बल्कि कई न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का परिणाम है।

  • सबसे आम प्रकार: अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s Disease)

  • अन्य प्रकार: वेस्कुलर डिमेंशिया, लेवी बॉडी डिमेंशिया, फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया

लक्षण:

  • बार-बार भूलना

  • भाषा और संचार में कठिनाई

  • निर्णय लेने की क्षमता का कमजोर होना

  • रोज़मर्रा के कार्यों में समस्या

  • मूड और व्यवहार में बदलाव

भारत में अक्सर परिवार इन लक्षणों को “बुढ़ापे का असर” मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे मरीज को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।


SCARF और DEMCARES की शुरुआत

SCARF (Schizophrenia Research Foundation)

SCARF की स्थापना 1984 में हुई थी और यह संगठन लंबे समय से मानसिक स्वास्थ्य अनुसंधान, इलाज और जागरूकता में काम कर रहा है।

DEMCARES (2014 में शुरुआत)

  • 2014 में SCARF ने डिमेंशिया देखभाल के लिए DEMCARES यूनिट शुरू की।

  • उद्देश्य: डिमेंशिया रोगियों और उनके देखभाल करने वालों (caregivers) को सहायता, इलाज और परामर्श उपलब्ध कराना।

  • DEMCARES का मॉडल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है क्योंकि यह समुदाय-आधारित देखभाल (community-based care) पर जोर देता है।


10 वर्षों की प्रमुख उपलब्धियाँ

1. हज़ारों मरीजों को सहायता

पिछले 10 सालों में DEMCARES ने हजारों डिमेंशिया रोगियों और उनके परिवारों को मुफ़्त और सस्ती सेवाएँ प्रदान कीं।

2. केयरगिवर ट्रेनिंग

DEMCARES ने परिवार के सदस्यों और हेल्थ वर्कर्स के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए, ताकि वे डिमेंशिया मरीजों की देखभाल बेहतर ढंग से कर सकें।

3. जागरूकता अभियान

भारत में डिमेंशिया के प्रति जागरूकता बेहद कम है। DEMCARES ने सेमिनार, कार्यशालाओं और डिजिटल कैंपेन के जरिए जागरूकता फैलाने का काम किया।

4. डिजिटल हेल्थ सपोर्ट

कोविड-19 महामारी के दौरान DEMCARES ने टेली-कंसल्टेशन और ऑनलाइन सपोर्ट की सुविधा उपलब्ध कराई, जिससे मरीजों और परिवारों को निरंतर मदद मिलती रही।

5. शोध और नवाचार

SCARF और DEMCARES ने डिमेंशिया पर कई अंतरराष्ट्रीय शोध प्रोजेक्ट्स में योगदान दिया, जिससे भारत की स्थिति और चुनौतियों को दुनिया के सामने रखा जा सका।


भारत में डिमेंशिया की बढ़ती समस्या

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं

  • भारत में इनकी संख्या करीब 80 लाख से अधिक आंकी गई है और आने वाले दशकों में यह दोगुनी हो सकती है।

  • डिमेंशिया से पीड़ित 80% लोग घर पर ही रहते हैं और उनकी देखभाल परिवार के सदस्यों को करनी पड़ती है।

चुनौतियाँ:

  • जागरूकता की कमी

  • प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की कमी

  • सामाजिक कलंक (Stigma)

  • आर्थिक बोझ


महिलाओं पर ज्यादा असर

अध्ययनों में पाया गया है कि महिलाओं में डिमेंशिया का खतरा पुरुषों से अधिक होता है

  • लंबी आयु

  • हार्मोनल बदलाव

  • देखभाल की जिम्मेदारी भी महिलाओं पर अधिक होने से मानसिक दबाव बढ़ना

इसलिए DEMCARES ने महिलाओं के लिए विशेष सपोर्ट ग्रुप्स और काउंसलिंग सत्र आयोजित किए।


DEMCARES की 10वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम

SCARF ने DEMCARES की 10वीं वर्षगांठ पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें:

  • विशेषज्ञ डॉक्टरों और मनोवैज्ञानिकों ने डिमेंशिया के नए इलाज और तकनीकों पर चर्चा की।

  • डिमेंशिया मरीजों की कहानियाँ साझा की गईं, जिससे समाज को जागरूक किया जा सके।

  • सरकार से अपील की गई कि डिमेंशिया केयर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों में प्राथमिकता दी जाए।


भविष्य की योजनाएँ

SCARF और DEMCARES आने वाले वर्षों में:

  1. भारत के अन्य राज्यों में डिमेंशिया केयर यूनिट्स स्थापित करेंगे।

  2. AI और डिजिटल हेल्थ टूल्स का इस्तेमाल बढ़ाएंगे।

  3. परिवारों और देखभाल करने वालों के लिए और अधिक हेल्पलाइन सेवाएँ शुरू करेंगे।

  4. ग्रामीण इलाकों में मोबाइल डिमेंशिया केयर यूनिट्स लॉन्च करने की योजना है।       

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