ट्रंप के भारत पर प्रतिबंध: रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का अमेरिका का रणनीतिक कदम?

TARESH SINGH
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर अतिरिक्त टैरिफ (शुल्क) लगाने का निर्णय लिया है — यह कदम केवल व्यापारिक नहीं बल्कि भूराजनीतिक असर भी रखता है। श्वेत गृह की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लिविट ने स्पष्ट किया कि यह कदम रूस को युद्ध के समाप्ति के लिए प्रभावी बनाना चाहता है। आइये, विस्तार से समझते हैं इसका क्या मतलब है और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।


 भारत पर ट्रंप की कार्रवाई — क्या है पूरा मामला?

  • ट्रम्प प्रशासन ने पहले ही 25% “रिप्रोसिबल” टैरिफ लगाया था, जिसे अब बढ़ाकर कुल 50% कर दिया गया है, क्योंकि भारत ने रूस से तेल की खरीद बंद नहीं की है।The Economic TimesThe Economic Times

  • व्हाइट हाउस का कहना है कि यह “सिकेंडरी प्रेशर” की रणनीति है — रूस को बंदी करने के लिए उसके सहयोगियों को आर्थिक रूप से प्रभावित करना।The Economic TimesThe Times of India


तकनीकी पक्ष — अमेरिका की नाराजगी क्यों?

तेल कारोबारी लाभ (Arbitrage)

  • अमेरिकी ट्रेज़री सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि भारत रूस से बहुत सस्ती कच्ची तेल खरीदता है और फिर उसे परिष्कृत कर दुनिया में बेचते हुए भारी मुनाफा कमाता है, जिसे अमेरिका “प्रॉफिटियरिंग” कह रहा है।Reuters

चीन के विपरीत नजरिया

  • अमेरिका ने चीन पर ऐसे गंभीर प्रतिबंध नहीं लगाए क्योंकि चीन कई अन्य स्रोतों से तेल आयात करता है और उसने ऐसी “arbitrage” रणनीति नहीं अपनाई। वहीं, भारत के अचानक से तेल आयात में वृद्धि ने अमेरिका को कठोर कदम उठाने पर मजबूर किया।Al JazeeraReuters

सीमा-पार नीतिगत द्वैधता

  • विशेषज्ञों ने टिप्पणी की कि ट्रंप का यह कदम कूटनीति की जगह आर्थिक दबाव को प्राथमिकता देने की नीति का हिस्सा है, जिसने अमेरिका की लोकप्रिय वैश्विक छवि को थोड़ा धक्का पहुंचाया है।The Guardian


 भारत की स्थिति और प्रतिक्रिया

“अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य”

  • भारत ने इन टैरिफों को “अन्यायपूर्ण, अनुचित और अस्वीकृत” करार दिया है, यह कहते हुए कि उसकी ऊर्जा योजना और आंतरिक आवश्यकताएं उसकी रणनीतिक स्वायत्तता का हिस्सा हैं।WikipediaThe Wall Street Journal

रूस से संबंध मजबूत

  • ट्रंप के दबाव के बावजूद, भारत ने रूस के साथ अपनी व्यापक ऊर्जा और रक्षा साझेदारियों को जारी रखा है। जहां तक संभव हो, उसने टैरिफ के प्रभाव से देशवासियों को बचाए रखने की कोशिश की है।The Wall Street JournalWikipedia

देसी आर्थिक तनाव

  • कुल मिलाकर अमेरिका–भारत व्यापार संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। भारत ने रक्षा खरीद योजनाओं पर अस्थायी रूकावट की खबरों का खंडन किया, लेकिन विश्वास में दरार देखी गई।WikipediaThe Wall Street Journal


क्या यह नीति युद्ध समाप्ति में प्रभावी साबित होगी?

  • व्हाइट हाउस का दावा है कि इस तरह का आर्थिक दबाव रूस पर द्विपक्षीय वार्ता और युद्धविराम के लिए मजबूर कर सकता है। ट्रम्प ने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ वार्ता पर अपनी तत्परता भी ज़ाहिर की है।The Economic TimesTIME

  • हालांकि, रूस ने अभी तक इस कदम के प्रति मजबूत या सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है, और वार्ता का कोई ठोस परिणाम नहीं मिला है।


 FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: क्या ये “प्रतिबंध” वास्तव में हैं?
हाँ, अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर पहले 25% और फिर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाकर कुल 50% शुल्क लगा दिया है।The Economic TimesThe Economic Times

Q2: इसका मकसद क्या है?
यह रणनीतिक टैक्टिक रूस को युद्ध समाप्ति के लिए दबाव देने का एक आर्थिक माध्यम है।The Economic TimesThe Times of India

Q3: क्या चीन पर ऐसा कदम नहीं उठाया गया?
चीन से तुलना करने पर टारगेट नहीं करने की वजह है चीन का तेल के अन्य स्रोतों से विविध आयात और “arbitrage” गतिविधि का अभाव।Al JazeeraReuters

Q4: भारत की प्रतिक्रिया क्या रही?
भारत ने इसे असंगत और अनुचित बताया है तथा उसने राष्ट्रीय हित में अपनी नीति बनाए रखने का दावा किया है।The Wall Street JournalWikipedia

Q5: क्या यह युद्ध को खत्म कर सकता है?
अभी तक ऐसी कोई गारंटी नहीं नजर आ रही है। यह निश्चित रूप से एक दबाव की रणनीति है, लेकिन युद्ध का अंत या तत्काल शांति अभी तक स्पष्ट नहीं है।


निष्कर्ष

ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ सिर्फ व्यापार नीतिगत कदम नहीं बल्कि एक भारी भू-रणनीतिक संदेश हैं — रूस को युद्ध विराम पर लाने की कोशिश। यह आलोचना भारत की विदेश नीति और ऊर्जा प्राथमिकताओं के बीच तनाव को भी उजागर करता है। आगे यह देखना होगा कि क्या इस कदम से रूस पर सही दबाव बनता है या दोनों पहलुओं पर प्रभाव दिखाई देता है।

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