कर्नाटक के तटीय जिलों में अरेका (सुपारी) उत्पादकों के लिए यह वर्ष अत्यंत चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। अत्यधिक वर्षा और फलों की सड़न (कोले रोग) के कारण किसानों की फसल का 50% से अधिक हिस्सा नष्ट हो चुका है। इस संकटपूर्ण स्थिति में, किसान उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
🌧️ मौसम और रोग का प्रभाव
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़, उडुपी, उत्तर कन्नड़, शिवमोग्गा और चिकमंगलूर जिलों में इस वर्ष मानसून की वर्षा औसत से कहीं अधिक रही है। निरंतर और अत्यधिक वर्षा के कारण फलों की सड़न (कोले रोग) फैल गई है, जिससे अरेका की फसल का लगभग आधा हिस्सा नष्ट हो चुका है। किसानों ने कई बार फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव किया, लेकिन परिणाम सीमित रहे हैं ।
🧑🌾 किसानों की स्थिति
अरेका उत्पादन कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। किसानों की अधिकांश आय इस फसल पर निर्भर करती है। फसल के नष्ट होने से उनकी आर्थिक स्थिति गंभीर संकट में है। कई किसान ऋण के बोझ तले दबे हुए हैं और उनके पास आगामी फसल के लिए संसाधन जुटाने की क्षमता नहीं है।
🏛️ CAMPCO की पहल
केंद्रीय सुपारी और कोको विपणन और प्रसंस्करण सहकारी समिति (CAMPCO) ने राज्य सरकार से प्रभावित किसानों के लिए सर्वेक्षण करने और उचित मुआवजा देने की अपील की है। CAMPCO के अध्यक्ष, ए. किशोर कुमार कोडगी ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर इस संकट की गंभीरता से अवगत कराया और त्वरित राहत की मांग की है ।
💰 मुआवजे की आवश्यकता
किसानों का कहना है कि बिना उचित मुआवजे के वे अपने परिवार का पालन-पोषण नहीं कर सकते। राज्य और केंद्र सरकारों से उनकी मांग है कि:
प्रभावित किसानों के लिए त्वरित सर्वेक्षण किया जाए।
मुआवजे की राशि की घोषणा शीघ्र की जाए।
आगामी फसल के लिए ऋण की सुविधा प्रदान की जाए।
फसल बीमा योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाया जाए।
🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
विपक्षी नेता सिद्धारमैया ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र ने मुआवजे की स्वीकृति दे दी है, लेकिन राज्य सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने राज्य सरकार से त्वरित कदम उठाने की अपील की है ।
📈 भविष्य की दिशा
अरेका उत्पादकों की स्थिति को देखते हुए, यह आवश्यक है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर इस संकट का समाधान करें। किसानों को शीघ्र राहत प्रदान करने के लिए:
प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित सर्वेक्षण किया जाए।
मुआवजे की राशि की घोषणा शीघ्र की जाए।
फसल बीमा योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाया जाए।
इस संकट से निपटने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करना होगा ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके और वे भविष्य में ऐसे संकटों से निपटने के लिए तैयार हो सकें।