भारतीय राजनीति में भाई-भतीजावाद किसी से छुपा नहीं है. पिता की सियासी विरासत बेटे-बेटियों ने ही संभाली है, इसका लंबा इतिहास मौजूद है. लेकिन कई बार पार्टी में बगावत या अन्य कारणों से पिता ने अपने ही बच्चों को पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया है. इसका सबसे ताजा उदाहरण अंबुमणि हैं, जिन्हें पिता रामदास ने अपनी पार्टी पीएमके से बाहर कर दिया है.भारतीय राजनीति में भाई-भतीजावाद किसी से छुपा नहीं है. पिता की सियासी विरासत बेटे-बेटियों ने ही संभाली है, इसका लंबा इतिहास मौजूद है. लेकिन कई बार पार्टी में बगावत या अन्य कारणों से पिता ने अपने ही बच्चों को पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया है. इसका सबसे ताजा उदाहरण अंबुमणि हैं, जिन्हें पिता रामदास ने अपनी पार्टी पीएमके से बाहर कर दिया है.