IIT मद्रास ने सशक्त कदम: ₹1 करोड़ की डील से शुरू है सिलिकॉन फोटोनिक्स QRNG की बाज़ार यात्रा
सपनों का विज्ञान धरातल पर—एक सौदा, एक उम्मीद
18 अगस्त 2025 की सुबह, आईआईटी मद्रास के कैंपस में एक समारोह हुआ—लेकिन यह कोई साधारण समारोह नहीं था। इसमें संस्थान ने ₹1 करोड़ की औपचारिक लाइसेंसिंग डील साइन की, जिसके तहत उसने भारत का पहला सिलिकॉन फोटोनिक्स आधारित क्वांटम रैंडम नंबर जेनरेटर (QRNG) Indrarka Quantum Technologies Pvt Ltd को तकनीकी हस्तांतरण (tech transfer) के लिए सौंपा। यह कदम सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक उम्मीद का सूत्र है—वैज्ञानिकों और समाज के बीच एक पुल, जो शोध को बाज़ार और सुरक्षा के मैदान पर ले जाता है।
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- IIT मद्रास ने सशक्त कदम: ₹1 करोड़ की डील से शुरू है सिलिकॉन फोटोनिक्स QRNG की बाज़ार यात्रा
- पीछे के महीन वित्त और प्रौद्योगिकी के तंतु
- तकनीकी उपलब्धियों का बाजार में रूपांतरण
- अतीत, वर्तमान और भविष्य की राह
- क्या कहते हैं विशेषज्ञ और भागीदार
- रुझानों की लहर: राष्ट्रीय और वैश्विक संदर्भ
- भावनात्मक और मानवीय जुड़ाव
- निष्कर्ष और आगे की राह
पीछे के महीन वित्त और प्रौद्योगिकी के तंतु
Centre for Programmable Photonic Integrated Circuits and Systems (CPPICS)
यह तकनीक CPPICS, यानी सिलिकॉन फोटोनिक्स परोग्रामेबल फोटोनिक इंटिग्रेटेड सर्किट्स और सिस्टम सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस द्वारा विकसित की गई थी—एक ऐसा केंद्र जो बेहद परिष्कृत प्रौद्योगिकी में भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहता है।
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यह अभी नहीं बना—यह प्रयास 20 अक्टूबर 2023 से आरंभ हुआ, जब MeitY (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीकी मंत्रालय) के सचिव श्री एस. कृष्णन ने इस केंद्र का उद्घाटन किया। यह केंद्र भारत में सिलिकॉन फोटोनिक्स की पूरी उत्पादन और R&D इकोसिस्टम तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है—जहाँ “CMOS-compatible” तकनीक का उपयोग कर अत्याधुनिक फोटोनिक सर्किट्स विकसित किए जा सकते हैं।
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वहीँ, मई 2024 में SilTerra मलेशिया से IIT मद्रास ने एक साझेदारी की—जिसमें प्रोग्रामेबल सिलिकॉन फोटोनिक प्रोसेसर चिप्स के विकास और डिजाइन-पेक निर्माण जैसे काम शामिल थे।
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तकनीकी उपलब्धियों का बाजार में रूपांतरण
QRNG: तकनीक से उपयोग
वैन-प्रूफ आतंरिक संख्या उत्पादित करने वाला यह डिवाइस—QRNG—खेती या बाज़ार की बात नहीं, बल्कि क्रिप्टोग्राफी, रक्षा, वित्त, ब्लॉकचेन, गेमिंग और क्वांटम संचार की सुरक्षा की नींव है। अनुमान लगाएं—यदि संख्या पूरी तरह यादृच्छिक हों, तो एन्क्रिप्शन की दरार कहाँ से आएगी?
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प्रोटोटाइप से तैनाती तक
पहले एक प्रारंभिक संस्करण DRDO (संरक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) को दिया गया था। बाद में इसमें सुधार कर इसे SETS Chennai (Society for Electronic Transactions & Security) के सुरक्षित सर्वर पर सफलतापूर्वक तैनात किया गया—यह साबित करता है कि यह तकनीक केवल लैब की नहीं, बल्कि व्यवहार की भी है।
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और अब, इसका वाणिज्यिक विपणन CPPICS की सहयोगी स्टार्ट-अप LightOnChip Pvt. Ltd. द्वारा संभाला जाएगा।
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अतीत, वर्तमान और भविष्य की राह
शोध से व्यापार—एक यात्रा
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20 अक्टूबर 2023: CPPICS की स्थापना और केंद्र की शुरुआत।
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मई 2024: SilTerra के साथ सहयोग—फैब्रिकेशन और डिजाइन क्षमताओं में इजाफा।
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प्रारंभिक दिनांक: DRDO को प्रोटोटाइप दिया गया, SETS में तैनाती हुई।
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18 अगस्त 2025: ₹1 करोड़ की डील से Indrarka Quantum को लाइसेंसिंग।
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आज: LightOnChip के माध्यम से QRNG का वाणिज्यीकरण शुरू।
यह किसी एक घटना का सिलसिला नहीं, बल्कि एक क्रमिक निर्माण की कहानी है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ और भागीदार
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प्रो. वी. कामकोटी (आईआईटी मद्रास निदेशक):
“सिलिकॉन फोटोनिक्स क्वांटम तकनीकों के साथ गहरा जुड़ाव रखता है। रैंडम नंबर जनरेशन सुरक्षित कंप्यूटिंग और संचार का आधार है। CPPICS का QRNG बाज़ार में लगाने लायक बन चुका है।”
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प्रो. मनु संथानम (डीन, IC&SR, IITM):
“IIT Madras की यह पहल दिखाती है कि कैसे लक्षित R&D और उद्योग सहयोग राष्ट्रीय महत्व की तकनीकों को जन्म दे सकते हैं।”
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प्रो. बिजॉय कृष्ण दास (CPPICS प्रमुख अन्वेषक):
“यह भारत का पहला सिलिकॉन फोटोनिक उत्पाद है—जिसमें MeitY, Izmo Microsystems, SilTerra और SETS समेत तमाम साझेदारों का योगदान रहा है।”
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एस. कृष्णन (MeitY सचिव):
“यह QRNG मॉड्यूल भारत के लिए गर्व की बात है—it will help in advanced quantum cryptography.”
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दीनानाथ सोनी (Indrarka Quantum):
“हमें IITM के साथ मिलकर इस तकनीक को बाज़ार में लाने में गर्व महसूस होता है। यह Make in India की जीत है।”
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रुझानों की लहर: राष्ट्रीय और वैश्विक संदर्भ
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Make in India की जड़ें मजबूत—अग्रणी प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता की दिशा में।
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Quantum सुरक्षा में भारत का नेतृत्व—विदेशों पर निर्भरता कम करना।
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फोटोनिक्स इंडस्ट्री का आरंभ—10 अरब डॉलर तक दुनिया बाजार बनने की संभावना तक।
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इंडस्ट्री-अकादमी मॉडल की सफलता—जहाँ स्टार्ट-अप को समर्थन मिलता है और शोध को व्यावसायिक जीवन बनता है।
भावनात्मक और मानवीय जुड़ाव
यह केवल एक तकनीकी डील नहीं, यह भारत के वैज्ञानिक सपनों का पूल है।
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युवा शोधकर्ता, इंजीनियर और शिक्षक—जिन्होंने रात-दिन मेहनत कर इस विश्वास को संभव बनाया—उनकी कामयाबी की कहानी है।
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यह देश में तकनीकी आत्मसम्मान को दर्शाता है—जब वह सिर्फ सब्सिडी या आयात के न भरोसे पर नहीं, बल्कि अपने ही दिमाग और मेहनत पर भरोसा करता है।
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यह एक राष्ट्र-निर्माण कहानी है—जहाँ शिक्षा, शोध, उद्योग और सरकार एक साथ मिलकर भविष्य बनाते हैं।
निष्कर्ष और आगे की राह
IIT मद्रास का यह सौदा केवल ₹1 करोड़ की डील नहीं, बल्कि एक महत्त्वपूर्ण शुरुआत है:
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शोध से पूर्वपथ तक की यात्रा पूरी हो चुकी है।
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राष्ट्रीय तकनीकी आत्मनिर्भरता का संकेत मिला है।
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नवोन्मेष का बाजार तैयार हुआ है—जहाँ खेल, रक्षा, वित्त और सरकारी क्षेत्र सभी इसका लाभ उठा सकते हैं।
आगामी अंश में शामिल हो सकते हैं:
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LightOnChip की अगले कदम की रणनीति।
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QRNG के वाणिज्यिक उपयोग पर विस्तृत केस स्टडी (जैसे DRDO, बैंकिंग आदि)।
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CPPICS में प्रशिक्षण, स्टार्ट-अप रिज़ल्ट्स, और भारतीय छात्रों/शोधकर्ताओं की व्यक्तिगत कहानी।
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क्वांटम मिशन और भारत की लंबी योजना (राष्ट्रीय क्वांटम मिशन से जोड़कर)।
यदि आप चाहें तो इन पहलुओं को और विस्तार से रिपोर्ट में जोड़ना मैं तैयार हूँ—बताइए, किस दिशा में और जानना चाहेंगे?