जानिए भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया: कौन-कौन वोट देता है, कितने सांसद शामिल होते हैं, और राष्ट्रपति चुनाव से इसमें क्या फर्क है।
- भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव: निर्वाचन मंडल, प्रक्रिया और संख्या एक नज़र में
- 1. भारत के उपराष्ट्रपति पद की संवैधानिक स्थिति
- 2. उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है?
- 3. चुनाव की प्रक्रिया
- 4. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में अंतर
- 5. कौन उम्मीदवार बन सकता है?
- 6. चुनाव की ऐतिहासिक झलक
- 7. मतदान संख्या और प्रक्रिया एक नज़र में (Numbers at a Glance)
- 8. नामांकन प्रक्रिया
- 9. चुनाव की पारदर्शिता और देखरेख
- 10. उपराष्ट्रपति चुनाव का महत्व
- 11. निष्कर्ष
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव: निर्वाचन मंडल, प्रक्रिया और संख्या एक नज़र में
भारत का उपराष्ट्रपति (Vice-President of India) देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। यह पद न केवल संवैधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली में भी इसकी बड़ी भूमिका है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा (Rajya Sabha) के पदेन (ex-officio) सभापति होते हैं और कई संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाते हैं।
लेकिन अक्सर आम नागरिकों के मन में सवाल उठता है कि –
👉 भारत का उपराष्ट्रपति कौन चुनता है?
👉 चुनाव की प्रक्रिया कैसी होती है?
👉 इसमें कितने सदस्य मतदान करते हैं?
👉 राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में क्या अंतर है?
आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
1. भारत के उपराष्ट्रपति पद की संवैधानिक स्थिति
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उपराष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 से लेकर अनुच्छेद 71 तक वर्णित है।
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अनुच्छेद 63 कहता है कि “भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा”।
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यह पद राष्ट्रपति के बाद दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है।
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कार्यकाल: 5 वर्ष।
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उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।
2. उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों –
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लोकसभा (House of the People)
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राज्यसभा (Council of States)
के सभी निर्वाचित और नामित (elected + nominated) सदस्य मिलकर करते हैं।
प्रमुख बिंदु:
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उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए केवल सांसद (MPs) वोट देते हैं।
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इसमें विधानसभा (State Assemblies) का कोई रोल नहीं होता।
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कुल मतदाता:
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लोकसभा: 543 निर्वाचित + 2 नामित = 545
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राज्यसभा: 233 निर्वाचित + 12 नामित = 245
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कुल = 790 सांसद (निर्वाचित + नामित)
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इसलिए, उपराष्ट्रपति का चुनाव 790 सांसदों के वोट से होता है।
3. चुनाव की प्रक्रिया
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote System – STV) और गुप्त मतदान (Secret Ballot) द्वारा होता है।
इसका मतलब:
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हर सांसद अपनी पसंद के क्रम (Preference order) में उम्मीदवारों को वोट देता है –
1️⃣ पहली पसंद
2️⃣ दूसरी पसंद
3️⃣ तीसरी पसंद आदि। -
यदि किसी उम्मीदवार को पहले ही दौर में 50%+1 वोट मिल जाते हैं, तो वही विजेता घोषित कर दिया जाता है।
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यदि ऐसा नहीं होता, तो सबसे कम वोट पाने वाले को बाहर कर दिया जाता है और उसके वोट दूसरी पसंद के आधार पर ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।
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यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता।
4. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में अंतर
पहलू | राष्ट्रपति चुनाव | उपराष्ट्रपति चुनाव |
---|---|---|
निर्वाचन मंडल | सांसद + सभी राज्यों की विधानसभाएँ | केवल सांसद (लोकसभा + राज्यसभा) |
नामित सदस्य | वोट नहीं कर सकते | वोट कर सकते हैं |
कुल मतदाता | लगभग 4,896 (2022 में) | 790 सांसद |
वोटिंग प्रणाली | STV (Single Transferable Vote) | STV (Single Transferable Vote) |
भूमिका | कार्यपालिका का प्रमुख, राष्ट्राध्यक्ष | राज्यसभा का सभापति, संवैधानिक बैकअप भूमिका |
5. कौन उम्मीदवार बन सकता है?
पात्रता शर्तें (Eligibility Criteria):
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भारतीय नागरिक होना अनिवार्य।
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न्यूनतम आयु: 35 वर्ष।
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वह व्यक्ति राज्यसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य होना चाहिए।
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पद की शपथ – संविधान की अनुसूची (Schedule IV) के अनुसार।
6. चुनाव की ऐतिहासिक झलक
भारत में 1952 से अब तक कई उपराष्ट्रपति चुने जा चुके हैं।
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पहले उपराष्ट्रपति: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1952-1962)
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वर्तमान (2022 में निर्वाचित): जगदीप धनखड़
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अब तक कई उपराष्ट्रपति बाद में राष्ट्रपति भी बने हैं – जैसे राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, वी.वी. गिरी, शंकर दयाल शर्मा और कृष्णकांत।
7. मतदान संख्या और प्रक्रिया एक नज़र में (Numbers at a Glance)
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कुल सांसद: 790
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निर्वाचित लोकसभा सदस्य: 543
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नामित लोकसभा सदस्य: 2
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निर्वाचित राज्यसभा सदस्य: 233
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नामित राज्यसभा सदस्य: 12
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कुल मतदाता: 790 (सभी वोटिंग में शामिल)
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आवश्यक बहुमत: 50% + 1 वोट (यानी 396 वोट)
8. नामांकन प्रक्रिया
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उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करने के लिए कम से कम 20 सांसदों का प्रस्तावक और 20 सांसदों का समर्थन चाहिए।
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नामांकन पत्र रिटर्निंग ऑफिसर (आम तौर पर राज्यसभा सचिवालय के सचिव-जनरल) को जमा करना होता है।
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साथ में ₹15,000 की सुरक्षा जमा राशि (Security Deposit) भी जमा करनी पड़ती है।
9. चुनाव की पारदर्शिता और देखरेख
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चुनाव आयोग (Election Commission of India) इसकी जिम्मेदारी निभाता है।
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, इसमें गुप्त मतदान (Secret Ballot) और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाती है।
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मतदान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से नहीं, बल्कि पेपर बैलेट से होता है।
10. उपराष्ट्रपति चुनाव का महत्व
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यह पद केवल औपचारिक नहीं, बल्कि राज्यसभा की कार्यवाही को सुव्यवस्थित करने वाला प्रमुख पद है।
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संसद की शांति और अनुशासन बनाए रखना उपराष्ट्रपति का मुख्य दायित्व होता है।
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यदि राष्ट्रपति किसी कारणवश पद नहीं निभा पाए (मृत्यु, त्यागपत्र, बीमारी आदि), तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाते हैं।
11. निष्कर्ष
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव प्रक्रिया में छोटा दिख सकता है क्योंकि इसमें सिर्फ सांसद ही शामिल होते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया लोकतंत्र की परिपक्वता को दर्शाती है। यह बताती है कि भारत में हर संवैधानिक पद के लिए स्पष्ट नियम और प्रक्रिया हैं।
👉 790 सांसदों के वोट से चुना गया व्यक्ति राज्यसभा का सभापति बनता है और अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय लोकतंत्र की धुरी को संभालता है।