पंच कैलाश भगवान शिव के किन 5 निवास स्थलों को कहा जाता है? यहां जानें

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पंच कैलाश कौन-कौन से पर्वत शामिल हैं और इन पर्वतों का क्या महत्व है, इसके बारे में आज हम आपको अपने इस लेख में जानकारी देंगे।

कैलाश मानसरोवर के साथ ही कुछ अन्य पर्वत भी हैं जिन्हें भगवान शिव के निवास स्थल के रूप में देखा जाता है। कैलाश पर्वत के साथ मिलाकर ये कुल 5 पर्वत है। हर पर्वत का अपना अलग महत्व है लेकिन एक बात सब में समान है कि ये आध्यात्मिकता और रहस्यवाद का केंद्र हैं। माना जाता है कि समय-समय पर भगवान शिव पंच कैलाश में निवास करते हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में पंच कैलाश के बारे में ही जानकारी देने जा रहे हैं।

कैलाश पर्वत

कैलाश पर्वत या कैलाश मानसरोवर भगवान शिव का प्रमुख निवास स्थल कहा जाता है। यहां स्थित मानसरोवर झील के जल को पीने से कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं। माना जाता है कि कैलाश पर्वत स्वर्ग जाने का भी रास्ता है, हालांकि आज तक कोई भी इस पर्वत पर फतेह नहीं पा पाया। माना जाता है कि भगवान शिव के निवास कैलाश पर चढ़ने के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यहां जाकर कई पारलौकिक अनुभव श्रद्धालुओं को होते हैं। कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित है और यहां जाने के लिए भारतीय श्रद्धालुओं को वीजा लेना पड़ता है क्योंकि यह स्थान चीन के अधिकार क्षेत्र में है।

आदि कैलाश 

पंच कैलाश में से एक आदि कैलाश को छोटा कैलाश भी कहा जाता है। आदि कैलाश भारत के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आदि कैलाश पर बैठकर भगवान शिव ने योग-ध्यान का अभ्यास किया था। इसी स्थान पर भगवान शिव और पार्वती की बारात ने विश्राम भी किया था। आदि कैलाश पर्वत के पास ही पार्वती झील है, जिसे मानसरोवर की ही तरह पवित्र माना जाता है।

मणिमहेश कैलाश

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में मणिमहेश कैलाश स्थित है। माना जाता है कि इस स्थान की रचना भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए की थी। इस पर्वत की चोटी पर एक चट्टान को शिवलिंग यानि शिव जी का रूप माना जाता है। यहां पर भी भगवान शिव के तपस्या करने की बात शास्त्रों में कही गई है। मणिमहेश कैलाश के पास भी एक झील स्थित है जिसमें डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं। इस झील को मणि महेश झील कहा जाता है।

किन्नौर कैलाश

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने किन्नौर कैलाश में पहली बार माता पार्वती से मुलाकात की थी। महाभारत में वर्णित है कि इस स्थान पर भगवान शिव सर्दियों में देवताओं की सभा का आयोजन करते थे। इस स्थान पर अर्जुन को पाशुपतास्त्र भगवान शिव से प्राप्त हुआ था। किन्नौर कैलाश में स्थित शिवलिंग की खासियत है कि यह बार-बार रंग बदलता है। सूर्योदय पर सफेद, सूर्यास्त पर पीला और रात में इसका रंग काला हो जाता है। कई भक्त किन्नौर कैलाश की यात्रा हर साल करते हैं।

श्रीखंड कैलाश 

श्रीखंड कैलाश में स्थित शिवलिंग सबसे बड़े शिवलिंगों में है। इस स्थान पर भगवान गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमाएं भी देखी जा सकती हैं। श्रीखंड कैलाश की यात्रा केवल श्रावण के महीने में ही होती है। माना जाता है कि यहां भगवान शिव को लगाया गया भोग यहां स्थित गुफाओं में चला जाता है। पंच कैलाशों में श्रीखंड कैलाश यात्रा को सबसे कठिन माना जाता है।

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